~जाने अनजाने मे ज़िंदगी इतना सिखा देती है~

30 May, 2013

जाने अनजाने मे ज़िंदगी इतना सिखा देती है

की अपने लिए जी लो, दुनिया ठुकरा देती है

की आज खुल क हंस लो, दुनिया रुला देती है



जाने अनजाने मे ज़िंदगी इतना सिखा देती है

की मोम जैसे कोमल रहो, दुनिया पत्थर बना देती है

की खुद से तुम प्यार करो, दुनिया नफ़रत का घूँट पिला देती है



जाने अनजाने मे ज़िंदगी इतना सिखा देती है

की कल जो हुआ उसे भूल जाओ, दुनिया फिर दर्द देती है

की खुद को तुम अपना खुदा कहो, दुनिया हैवान बना देती है

~तेरी आँखों के घम चुरा लू मैं~

19 May, 2013

तेरी आँखों के ये घम चुरा लू मैं

तू तो अपना ना हो सका

उन्हे ही अपना बना लू मैं

तेरी आँखों के ये घम चुरा लू मैं



तेरी हँसती खेलती नज़रों मे

जाने किसने ये घम भर दिए

उस श्क्स को बदुआओं से मार गिराउ मैं

आ, आज तुझे हसना सिखाउ मैं



तू खुश रहे, आबाद रहे

आ जान गवाउ मैं अगर तू कहे,

पर दिल मेरे तू मुस्कुरा

आज ऐसे नज़रें ना झुका



वक़्त तो मरहम लगा ही देगा

पर आज ज़िंदा रहने को मन नही करता

तेरी घम भरी आँखो को देख के,

अब तो मौत से भी डर नही लगता



~तुम गुमसुम खड़े रहे~

14 May, 2013

उस रोज़ तुम्हे आवाज़ दी

पर तुम गुमसुम खड़े रहे

आँखें नीची, सिर झुकाए,

तुम गुमसुम खड़े रहे



उस रोज़ तुम्हे पुकारा मैने

पर तुमने मूह मोड़ लिया

वापस कभी ना देखा मुड़ के,

मुझे गुमसुम सा छोड़ दिया



सोचा वक़्त मरहम लगा देगा घमो को

वक़्त ने भी मूह फेर लिया

तडपा तडपा के मुझमे

एक गहरा ज़ख़्म छ्चोड़ दिया



अब गम और खुशी मे फ़र्क नही

आँसू हस लेते और हस्सी रो लेती है

उस रोज़ तुम्हे आवाज़ दी

पर तुम गुमसुम खड़े रहे

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